मेरे चंद नए अशआर ......
मेरे चंद नए अशआर ......
1-दर्द रिश्तों के टूटने का नहीं है, उन्हें तो टूटना ही था ,
दर्द तो ये है की कितनी बेदर्दी से तोडा उसने ....मधु
5-ये सच है मालिक की मैं तेरी इबादत पर खरी नहीं उतरती ,
तू बस एक नज़र इंसानों से मेरी मुहब्बत तो देख.....मधु
11-इस नयी दुनिया में नयी तहजीब के साथ चलने के लिए ,
मुश्किल कुछ भी नहीं है बस ईमान का गहना ही बेचना होगा ...मधु
16-जिन्दगी यूं तो कोई बात कभी तुझ से छिपाई नहीं मैंने ,
हाँ एक राज है मेरा कि मैं अब तुझ से ऊब सा गया हूँ ....मधु
24-वो रास्ते जो मुझ को पहुचाने वाले थे तुम तक ,
उन रास्तों ने अब अपना रास्ता ही बदल दिया है ....मधु
