Thursday, 3 May 2012
सुनो !तुम्हें याद है
यहाँ कभी
एक
कच्ची पगडण्डी
हुआ करती थी
दोनों तरफ
खुशहाली के पेड़ों से घिरी
जो अनेक
घुमाव लेकर भी
पहुंचती थी
तुम्हारे दिल तक,
अब वो
पगडण्डी
पत्थरों से बिछी,
कोलतार से रची
एक पक्की
लम्बी सड़क बन गयी है
जो बंद है आगे से
और
कहीं नहीं पहुंचती ......मधु गजाधर
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home