Madhu's world l

5/21/2012

Wednesday, 2 May 2012
शायद
 मेरी सोच ,
 मेरी भावनाएं,
मेरे प्रेम  में सराबोर
होकर

 बहुत गीली हैं ,
आद्र हैं,
नम हैं

और
उसे तो
हर तरह की  नमी से
परहेज़ रहा है
हमेशा
......मधु गजाधर

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