मेरी सोच से उभरे ...मेरे कुछ अशआर ........
मेरी सोच से उभरे ...मेरे कुछ अशआर ........
1- उस की ताकत पर इतना ऐतबार था मुझे ,
कि मैं टूट गयी, बिखर गयी मुझे एहसास न था
2..उस की रहमत ,उस के करम का था असर इतना ,
कि मैं धूल थी फिर भी पहाड़ पर जा पहुची |....मधु
3..पकी फसल को धर के चिन्गारिओं के बीच ,
तुम मुझ से मेरे हश्र का हाल पूछते हो....मधु..
4..शाम तो हर मानिंद ढल जाती है ढल ही जायेगी..
इन्तजार तो सुबह का जान लेवा है ...मधु
5.. बिखरना तो जिंदगी में लाजिम है एक दिन ,
बिखरे जो गुलाब की मानिंद तो खुशबुओं में सिमटे रहोगे ....मधु
6… गुरूर का पहन लबादा,मैं निकला था खुदा को ढूँढने
न उसने मुझे को पहचाना ...न मैंने उस को पहचाना ...मधु
7.. जन्नत होती है..कहाँ होती है.. कैसी होती है किसे मालूम
दोजख का नज़ारा तो इस दुनिया में बहुत देखा है ...मधु
8.. औरत के दम से है कायनात लोग यूँ कहते तो है फिर भी
इस कायनात में औरत का वजूद तक बर्दाश्त नहीं ....मधु '
9.. मैं पूछती तो हूँ तुझ से पर जवाब के लिए नहीं,
क्यों बनायीं तूने दुनिया, अब क्यों मिटा रहा है ...मधु
10.. नक़्शे कदम पर चलने की हसरत तो है हमको ,
पर वक्त की ये हवा तो निशां ही मिटाए जाती है....मधु
11.. मेरे ख्वाब की ताबीर हो ये ख्वाब तो नहीं है मेरा,
मेरे ख्वाबों की दुनिया में मुझे बस रहने दे मालिक ...मधु
12.. ना उम्मीदी के अंधेरों से घबरा मत ऐ दिल,
उम्मीदों की हवाएं भी चिराग बुझा देती हैं ....मधु
13… ता उम्र दुआओं का असर कुछ इस तरह रहा ,
ना धूप में झुलसे और ना बारिश में भीगे हम ....मधु
14.. एक वक्त गुजर जाता है और एक वक्त नहीं गुजरता,
तुम नाहक परेशां हो ये तो वक्त का अपना तकाजा है ....मधु
15.. जिस की इबादत में बनाये हैं मंदिर मस्जिद तूने,
वो खुदा तो बरसों से मेरे दिल में रहा करता है ....मधु
16.. वो रास्ते जो मुझ को तुम तक पहुचाने वाले थे ,
उ न रास्तों ने अब अपना रास्ता ही बदल दिया है ....मधु
17.. बारहा मुझे औरत के किरदार (चरित्र ) पर हैरानी हुई है ,
खुद को मिटाने वाले हाथों को सहलाने में लगी है ....मधु
18.. ख़्वाबों का क्या है बंद आँखों में उतर ही आते है ,
खुली आँखों से देखे ख्वाब की ताबीर गजब होती है......मधु
19.. लिए मन्नतों का टोकरा मैं निकली थी अपने घर से ,
तेरे दर तक आते आते या खुदा ! न मन्नत रही न मैं....मधु
20.. सुबह की किरण का देवनहार अगर तू है ,
तो रात की स्याही का खुदा क्या कोई और है ?....मधु
21.. डूब जाना ही गर इश्क की तहजीब हैं तो या रब !
तू मुझे डूबने में लुत्फ़ की तौफिक फरमा दे....मधु
22.. वक्त ,हालात सोच और ख्वाइश सब उस की रजा पर कायम है,
मैं ,मैंने और मेरा का जूनून तो हमारा अपना जूनून है ....मधु
23.. सुबह का उजियारा दबे पाँव जमी पर उतर आया तो है,
गयी रात के अंधियारे का खौफ अभी तक हावी है .....मधु
24… जिन्दगी यूं तो कोई बात कभी तुझ से छिपाई नहीं मैंने ,
हाँ एक राज है मेरा कि मैं अब तुझ से ऊब सा गया हूँ ....मधु
25..आज उम्मीद ने मेरी, बाह थाम कर कहा मुझसे ,
याद रख दुनिया में नाउम्मीद कुछ भी नहीं है ....मधु
26.. ये किन की तोहमतों से घबरा के तूने सर झुका लिया बन्दे,
वो जिन के अपने सिरों पर तोहमतों की पगड़ियाँ बंधी है ...मधु
27.. बारहा दिल के दरवाजों से मैंने अपनी यादों को बाहर फेंका तो है ,
अपनी ही कमजोरी से उन्हें फिर से वापिस उठा लाती हूँ मैं ....मधु
28.. इस नयी बदलती दुनिया में नयी तहजीब के साथ चलने के लिए ,
मुश्किल कुछ भी नहीं है बस ईमान का गहना ही बेचना होगा ...मधु
29… आज बर्बादी के हालात से गुजरते बहुत बार मैंने सोचा है
काश रोक लिया होता मैंने वक्त के बदलते रुख को ....मधु
30.. उस की बेगुनाही का सबूत उस के आंसुओं में ना ढूंढ ,
तेरी आँख के आंसू ही उस की बेगुनाही बयां करते हैं .......मधु
31.. बहुत आसां है किसी और के बारे में गुफ्तगू करना ,
आसां नहीं मगर खुद को खुद के तराजू में तोलना ....मधु
32.. वक्त की ये गुजारिश है की जो गुजर जाए उसे भुला डालो ,
मुझे ये तो बता ऐ वक्त ! तू क्यों जख्म दिए जाता है फिर ....मधु
33.. वो एक छोटी सी बात थी , दिल में आई और कह दी तुम से ,
जानती तो मैं भी थी की बातों के ही अफ़साने बना करते है ....मधु
34… इस पत्थर दिल दुनिया से बे-आबरू होकर, ये ख़याल आया है
काश या तो हम ना होते या ना होते ये जज्बात हमारे....मधु
35.. ये सच है मालिक की मैं तेरी इबादत पर खरी नहीं उतरती ,
तू बस एक नज़र इंसानियत से मेरी मुहब्बत तो देख.....मधु
36.. तेरी रहमतों के सदके मुझे बस इतना बता दे मालिक,
कहाँ छुपाया है चैन तूने.. और किस के लिए छुपाया है ....मधु
37.. मेरी रौशनी पर इतना ऐतबार करने वाले,
तेरा भरम बनाये रखने को मैं दिन रात जल रही हूँ.....मधु
38.. वो कुछ बात ही रही होगी जो मुड मुड कर उसने देखा वर्ना ,
यूं रुकना,यूं मुड़ना यूं देखना उस की आदत में तो शुमार न था ....मधु
39.. दर्द रिश्तों के टूटने का नहीं है, उन्हें तो टूटना ही था ,
दर्द तो ये है की कितनी बेदर्दी से तोडा उसने ....मधु
40.. मौला तेरी इबादद से रूहानी सुकून तो मिल जाता है मगर,
फकत रूहानी सुकून से तेरी दुनियां में काम नहीं चलता ....मधु
41.. एक आवाज सी आती है दूर से ,जैसे तू बुला रहा है मुझे ,
मैं पागल से भटकती कभी मंदिर में जाती हूँ कभी मस्जिद में जाती हूँ...मधु
42.. तन्हाई कि आदत ने हमें कुछ इस कदर बिगाड़ दिया है ,
कि अब अपनी ही साँसों की आवाज हमसे सहन नहीं होती ....मधु
43… चैन की नींद तो मैं सो जाऊं कोई बड़ी बात नहीं है ,
मौला !तू मेरे अपनों के सब दुःख तो मिटा दे पहले ....मधु
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