एक आस ....
आज एक आस सी जगी है मन में कि काश कुछ ऐसा हो जाए ,
आहें सब फूलों में बदल जाएँ और खुशियों के आंसू छलक आयें|
पालें है वैमनस्य के ढेर से पक्षी जो अपने दिलों में हमने...
चलो आज दिल खोल कर अपना उन्हें कही दूर उड़ा आयें |
जो चला गया है हमें छोड़ कर वो अब वापिस न कभी आएगा
सोचें की जो रह गएँ है हमारे , कहीं वो भी बिछुड़ ना जाएँ |
रेत की स्लेट पर ये ढेरों तस्वीरें तो बना डाली है हमने ,
डरना कि तेज हवा का झोंका इन्हें कहीं मटियामेट न कर जाए |
ये जो आज है , ये ही बस हमारा है चलो इसे जी ले जी भर के ,
ये कोई दावा तो नहीं है कल का ,शायद वो कल ना ही आये |..........मधु 14जुलाई 2010
Labels: एक आस ....
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home