Madhu's world: Mere Sher l

7/06/2010

Mere Sher

खरीदा भी बटोरा भी सामान तो बहुत हमने दुनिया में ,
चलो अब अपने लिए एक कफ़न भी खरीद कर रख ही डालें ....मधु

रुक जाती, ठहर जाती वो आखरी सांस अगर अपनी तो ,
हम उन से लौटने का वायदा कर के ही इस जहाँ जाते .....मधु

दस गुना होकर लौट आएगा तुझ तक तेरा अपना ही किया ,
आज कुछ करने से पहले सोच ले कि तुझे क्या चाहिए ....मधु

ऐ वक्त ! गर मुनासिब हो तो बस इतना ही रहम कीजौ ,
अपने पन्ने से हमारे सब गुनाहों को मिटा दीजौ |.....मधु

तेरी सांस सांस पर जिस का अख्तियार है रे बन्दे,
एक एक सांस का तुझ से वो हिसाब जरूर लेगा ....मधु

उजाले से चकाचोंध हो कर इतना बदगुमां भी ना हो ऐ दोस्त !,
शाम होते ही ये उजाले घने अंधेरों में बदल जाते है .....मधु

वो दिन लौट के ना आयें तो इसे गम की बात ना समझ ,
आज का दिन भी कहीं खो ना जाए, इस का ख्याल रखना ....मधु

गुनाहों से बचने को आगाह तो किया था तूने हर बार हमें ,
गुनाहों की लज्ज़त ही कुछ ऐसी थी की हम डूबते ही चले गए ........मधु

याद तो बहुत किया था तुझे ऐ ! मालिक हमने मरते वक्त,
जिंदगी की गहमा गहमी में ही बस तुझे याद न रख सके हम ........मधु

ख्यालों का क्या है वो तो बहते चले आते हैं कभी ऊपर कभी नीचे ,
हकीकत तो ये है की ये जिन्दगी बस ढोने का ही दूसरा नाम है ....मधु

इक बात थी जो हम में तुम में होनी थी पर हो न सकी कभी ,
उस बात को गठरी में बांधे आज तक फिरते है हम....मधु

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