एक प्रार्थना ....
किश्तियाँ किनारों से लग जाती हैं उन मेहरबानों की ,
जिन की किश्तियों में दूआओं का असबाबहोता है |
गलियां कूचे,मंदिर मस्जिद घर आँगन की बात ही छोड़ो ,
दिल से निकली एक दुआ में उम्र भर का सबाब होता है |
यूँ तो मैंने जहाँ के मालिक को कभी देखा नहीं है मगर,
हर माँ की आँखों में उस के होने का एहसास होता है |
जिन्दगी के पन्नो पर क्या लिखूं ,क्या मिटाऊंमेरे मालिक ,
कि तुझ से तुझी को मांगने का जज्बा जवां होता है |....मधु गजाधर
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